Tuesday, September 30, 2008

प्यार की पहल...




जब आने लगे घर से गलियों में वो,
आना जाना भी अपना शुरू हो गया।
अब तलक सिर्फ तकते थे हम देखकर,
देखकर मुस्कुराना शुरू हो गया।।

वो हमें देखकर भाग जाते है क्यों ,
क्यों नही देखकर पास आते है वो
जब से एहसास होने लगा प्यार का,
घर से कोई बहाना शुरू हो गया।।

क्यो हमें देखकर भाग जाते है वो,
क्यों नही देख कर पास आते हैं वो
अब तलक सिर्फ सपनों में थे छेड़ते,
रात भर अब जगाना शुरू हो गया।।

वो कली थी अभी तक खिली थी नही
कोई भंवरे से अब तक मिली थी नही
शर्म उनका सरकने लगा इस तरह
अब दुपट्टा गिरना शुरू हो गया।।

5 comments:

हिन्दुस्तानी एकेडेमी said...

आप हिन्दी की सेवा कर रहे हैं, इसके लिए साधुवाद। हिन्दुस्तानी एकेडेमी से जुड़कर हिन्दी के उन्नयन में अपना सक्रिय सहयोग करें।

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सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरि नारायणी नमोस्तुते॥


शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों। हार्दिक शुभकामना!
(हिन्दुस्तानी एकेडेमी)
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डॉ .अनुराग said...

मुहब्बत की बीमारी है भाई......

Udan Tashtari said...

सही है-बेहतरीन!!

Debu said...

kya baat hai sir......lagta hai ki purana mausam phir se jawaan ho raha hai .......chaliye thik bhi hai .......aakhir aapne aetihaasik faisala jo kar liya.....bhuli hui in panktiyon ke liye shukriya,jo phir se gungunane ka mauka dengi...

piyush said...

very nice bhai.....yaadein taja ho gayee......bahut dino se baithkar kuch suna nahi gaya.......shukra hai uparwaale ka baith nahi sakte to kam se kam pad hee lete hai....lage raho...