Tuesday, June 12, 2007

कफ़न वस्त्रालय

एक आदमी ने
बाजार के बीच चौराहे पर
एक दुकान खुलवाया
दुकान का खूब प्रचार प्रसार करवाया
और दुकान का नाम कफ़न वस्त्रालय रखवाया।

उसने बताया
मेरी दुकान में हर किस्म के कफ़न मिलते हैं
जिंदा एवं मरे दोनो जिस्म के कफ़न मिलते हैं
यहां गरीबों के भी कफ़न हैं
अमीरों के भी कफ़न है
लेकिन दाम और क्वालिटी में फर्क है
गरीबों का कफ़न छोटा और कम अर्ज है
अमीरों का कफ़न थोड़ा बड़ा होगा
रेशमी और सितारों से जड़ा होगा
हमारी दुकान का कफन हर किस्म हर दाम वाला है
और मेरा नाम कफन वस्त्रालय वाला है।

यहां नेताओं का कफन है
अभिनेताओं का कफन है
नेताओं का कफन काला है
अभिनेताओं का कफन अनेक रंग वाला है
और जो नेता अभिनेता दोनो हैं
उनका कफन ज्यादा दाम वाला है
क्योंकि उसमें जड़ी हैं मोतियां कढ़े हैं सितारे
और चारो तरफ लगी सजीली माला है
आओ एडवांस में ले जाओं कफन
मौत का नही भरोसा आज कल
आज कल उसका बोलबाला है
मेरा नाम कफन वस्त्रालय वाला है।

यहां साधारण एवं मार्डन
दोनों प्रकार की लड़कियों के कफन मिलते हैं
साधारण लड़कियों का कफन सफेद कपड़ा है
मार्डन लड़कियों का कफन जींस तगड़ा है
मेरे यहां ऊंची दुकान फीका पकवान नही है
मेरी दुकान में घटियां सामान नही है
मेरी दुकान का काम आला है
इसी लिए मेरा नाम कफन वस्त्रालय वाला है।

वेदों ने बताया है, पुराणों ने समझाया है
गीता ने उपदेश में सुनाया है
यदि तुमने जन्म लिया है तो मरण होगा
इस जीवात्मा का हरण होगा
तुम मरोगे, जरुर मरोगे
तुम्हारा शरीर दफन होगा
तब तुम्हारें पास न तो धन होगा न ही धर्म
सिर्फ तुम्हारे पास होगा दो गज या एक गज कफन
मेरा व्यापारिक सिद्धांत निराला है
इसी लिए मेरा नाम कफन वस्त्रालय वाला है।

इस इस्तहार को पढ़कर एक व्यक्ति झल्लाया
उसने दुकानदार से पूछा भाया
तुमने ये कफन की ही दुकान क्यो खुलवाया
तब दुकानदार ने उसको समझाया
देखो भाया
आज तो मौत हर जगह खड़ी है
जहां खड़ी है, वहां लाश पड़ी है
कुछ कटी है, कुछ सड़ी है
हर व्यक्ति को मौत देने की चाह बढ़ी है
इन्हीं बातों को मेरी व्यापारिक बुद्धि ने तड़ी है
इसी लिए ये धंधा मैंने चलाया है
और अपनी दुकान का नाम
कफन वस्त्रालय रखवाया है।

6 comments:

Arun Arora said...

भाइ लकडियो की और खोल लॊ,:)
चंदन से कीकर तक की
:)

Arun Arora said...

कविता अच्छी थी

Udan Tashtari said...

गहरी कविता है.

राजीव रंजन प्रसाद said...

अच्छी कविता है,समीर जी से सहमत हूँ रचना में गहरे तत्व हैं। बधाई।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Unknown said...

kavita bahut achi bahi

neeraj said...

kavita dil ko choo lene wale hai....... badhai lage raho.....