Thursday, August 21, 2008

हथेली पर.....



तमाम टेढ़ी मेढ़ी लकीरे हैं हथेली पर.......
भविष्य को बनाती बिगाड़ती
किसी की किस्मत......
किसी का लिखा है लकीरों पर नाम.....
जो इश्क को परवाज देती हैं।
उनके हाथों में हैं मुरझायें फूल
किसी के इंतजार में..........
मुकाम की आस में दम तोड़ते

तेरी हथेली पर मेरा हाथ
गर्म सांसे.........
मोहताज चंद लम्हें की जो हमारे हो
बाजार की भीड़ में.......।

हथेली पर उगाते सपनों के फूल
इस आस में की उस पर भी आयेंगे सुगंधित फूल
सब कुछ भ्रम सा........
उलझती जिंदगी सा.....
सुलझते सवालों सा....
सब कुछ दिखता है हथेली पर..
क्या है ऐसा सब कुछ।

सचमुच हथेली पर लट्टू सी नाचती जिंदगी

4 comments:

Rajesh Roshan said...

खूब लिखा राजेश जी... जिन्दगी ऐसी भी है लेकिन कई और चीज भी है जिन्दगी कभी उनपर भी कलम चलाये....

Udan Tashtari said...

सुन्दर कविता- बधाई!

Unknown said...

सर, हाथ पर लच्चू कब तक नचाते रहेंगे.......आपकी फोटो देख कर लगता है की आप रंगीन तबीयत हैं। कुछ ऐसी रंगीन फोटो अपने ब्लाग पर डालिए...जिससे जो आपके ब्लाग पर आए आप का ही हो जाए।

होप सो....वैसे आप जानते ही हैं की ये कमेन्ट देने वाला कौन है। लेकिन इस नाम का खुलासा मत किजिए।

Unknown said...

सर, हाथ पर लट्टू कब तक नचाते रहेंगे.......आपकी फोटो देख कर लगता है की आप रंगीन तबीयत हैं। कुछ ऐसी रंगीन फोटो अपने ब्लाग पर डालिए...जिससे जो आपके ब्लाग पर आए आप का ही हो जाए।

होप सो....वैसे आप जानते ही हैं की ये कमेन्ट देने वाला कौन है। लेकिन इस नाम का खुलासा मत किजिए।