Saturday, May 12, 2007

दलाल......

जिसको देखो वही दलाल हो गया
अब ये तो हमारे देश का हाल हो गया
इसी लिए हमारा देश बकरे की तरह हलाल हो गया

मंदिर में मधुशाला है
मस्जिद में वेश्याला है
गुरूद्वारे में जाम है, प्याला है
हर जगह दलाली है
सिर्फ दलालों का बोलबाला है
धर्म कर्म सब काला है
कैसा ये मानव साला है
जो करता है ब्रम्हचर्य धर्म का पालन
उसके बिस्तर पर बाला है
इन सब कुरितियों को
सिर्फ दलालों ने पाला है
इसी लिए हवाला है
इसी लिए घोटाला है
अब ये तो हमारे देश का हाल हो गया
इसी लिए हमारा देश बकरे की तरह हलाल हो गया।

रोज एक नयी सांस बिस्तर पर घुटती है
रोज कोई मां, कोई बहन सरेआम लुटती है
रोज किसी नाबालिग को बालिग बनाया जाता है
उसकी चीखो के साथ जश्न मनाया जाता है
रोज कोई नारी बेपर्द हो जाती है
उसकी नंगी देह सर्द हो जाती है
क्योंकि पूर्ण मानव काम का काल हो गया
अब ये तो हमारे देश का हाल हो गया
इसी लिए हमारा देश बकरे की तरह हलाल हो गया।

दलालों ने दलाली ली आतंक फैलाया
आग लगाया, घर जलाया
कितनों को अपंग किया
कितनों को मौत की नींद सुलाया
बदले में पैसा पाया
इसी मौत की दलाली से दलाल मालामाल हो गया
और हमारा देश बकरे की तरह हलाल हो गया।
पुरक़ैफ़

3 comments:

Udan Tashtari said...

सही दिशा में ऊँगली उठाई है, बधाई.

राज भाटिय़ा said...

एक एक शब्द रुह को झ्न्झोरता हॆ,बहुत अच्छा लिखा हॆ,

Sajeev said...

सच्चाई बयाँ करी है आपने ....कढ़वा मगर सच ..