उसने जर्नलिस्ट बनने की पढ़ाई की थी....
एक तेज तर्रार जर्नलिस्ट.............
साल भर सिर खपाने के बाद
पत्रकारों के दायित्व की ढेर सारी बातें जेहन में पाल कर
वो एक न्यूज चैनल में इंटर्नशिप करने आई थी
देखने में भी वो सुन्दर थी.......एंकर माफिक
पहला दिन था, खबरों के घर में
कई नजरें कनखियों से तो कई नजरें उसको ताक रही थी
कुछ घूर भी रही थी.....
लेकिन वो सोच रही थी, इन लोगो ने तो मुझे पहले देखा भी नही..
तो फिर इतने ध्यान से मुझे क्यों देख रहे हैं
कुछ लोग उसके बारे में बात भी कर रहे थे
उसने सुना था, कोई कह रहा था लखनऊ से आई है....नवाबों के शहर से
वो कहने का मतलब समझ रही थी....
थोड़ा वो सकुचा गई थी....
एक हफ्ते बीत चुके तो
अब वो असल की खबर और खबरिया लोगो से थोड़ा मिल जुल गई थी...
लोग पास के चौराहे पर उसे चाय भी पिलाने ले जाने लगे
पद्रह दिन बाद......ऑफिस में उसी की चर्चा थी
जो भी उसके साथ चाय पी कर आता था
चार लोगो से बताता था
अब वो देर रात तक ऑफिस में रुकने लगी थी
इंटर्नशिप खत्म होने के दो चार दिन पहले मैंने देखा था
वो एक मोस्ट सीनियर, बॉस टाइप आदमी के साथ सुट्टा मार रही थी....
शायद उसकी............???
2 comments:
यही हकीकत है.
क्या ऐसा भी होता है!
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