Friday, June 27, 2008

नदिया कहे.....

नदिया कहे मोरे साजन का घर किस पार
बहती जाउं एक दिशा में कहा है मोरा घर - बार

जागू नो सोऊ, न मैं रोऊ
शरम से पानी पानी न होऊ
सजना का मिला न संसार
कहा है मोरा घर - बार
नदिया कहे.....

संग न खेले मोरे सहेली
कोई करे न मोसे ठिठोली
बहे नही कजरे की धार
कहा है मोरा घर – बार
नदिया कहे....

बाबुल का घर मैनें न देखा
पीहर का न लेखा जोखा
सुनी नही पायल की झनकार
कहा है मोरा – घर बार
नदिया कहे........

3 comments:

mehek said...

नदिया कहे मोरे साजन का घर किस पार
बहती जाउं एक दिशा में कहा है मोरा घर - बार

जागू नो सोऊ, न मैं रोऊ
शरम से पानी पानी न होऊ
सजना का मिला न संसार
कहा है मोरा घर - बार
नदिया कहे.....
bahut bhavuk sundar kavita badhai

Advocate Rashmi saurana said...

जागू नो सोऊ, न मैं रोऊ
शरम से पानी पानी न होऊ
सजना का मिला न संसार
कहा है मोरा घर - बार
नदिया कहे.....
bhut khub.sundar rachana ke liye badhai.

अभिनव आदित्य said...

आपकी रचना, रचना पर आई टिप्पणी और टिप्पणी करने वाले का नाम तीनों ही सुंदर एवम् सुखद है... गुस्ताख़ी के लिए क्षमा..!