Tuesday, July 24, 2007

मां की चिट्ठी.....

मां की चिट्ठी आई है..
साल भर से ज्यादा हो गये
तुम घर नही आये।

पिछले साल दीवाली पर जो लड्डू बनाये थे
तुम्हारें हिस्से के, अभी तक रखे हैं।
घर की, गांव की वो सारे किस्से भी रखे है
जो तुम्हें सुनाने के लिए रखे हैं. पर तुम आये ही नही

तुम्हारे पिता जी रोज मुझे समझाते हैं, बताते हैं कि
तुम बहुत बिजी रहते हो...पता नहीं..
उनसे चुरा कर तुम्हें लिख रही हूं...
बेटा समय निकाल के आ जाओ
तुम्हारी मां अब बूढ़ी हो चुकी है
जाने कब मर जाए...
सांसे हुई पराई हैं....

मेरी छोड़ो, तुम कैसे हो, खाना समय से खाते हो
स्वास्थय पे ध्यान देना।
अब नहीं लिखूंगी, आंखे मेरी भर आई हैं...
मां की चिट्ठी आई है.....

5 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

राजेश जी,बहुत संवेदनशील रचना है।

मेरी छोड़ो, तुम कैसे हो, खाना समय से खाते हो
स्वास्थय पे ध्यान देना।
अब नहीं लिखूंगी, आंखे मेरी भर आई हैं...
मां की चिट्ठी आई है.....

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर.

जब तक मां बाप का साथ है, जब मौका लगे(कोशिश करके) जरुर मिलते आना चाहिये वरना बाद में सिवाय पछताने के कुछ हाथ नहीं आता.

Reetesh Gupta said...

बहुत सुंदर भाव हैं....

36solutions said...

सुन्दर

mamta said...

सुन्दर रचना है। माँ होती ही ऐसी हैं ।