Monday, August 13, 2007

पेट में कब्रिस्तान

इस पापी पेट में जो भी जाता है, दफ्न हो जाता है
मुर्गे, बकरे और न जाने क्या क्या

झोपड़ों की उस बस्ती में जब आग लगी थी
जब सब कुछ जल गया था,
मासूम से चेहरे तब्दील हो गये थे मांस के लोथड़े में
कितनी गर्भवती महिलाओं के पेट में ही दफ्न हो गयी थी अजन्मी औलाद
तब भी कई पेट कब्रिस्तान बन गये थे।

कल ही मेरे मोहल्ले में एक नाबालिक लड़की ने आत्म हत्या की थी
कारण था वो बिन ब्याही मां बन गई थी,
बदनामी के डर से उसने भी पेट को कब्रिस्तान बना डाला

सियासत के चौराहे पर
जब जलाया गयी थी एक मसाल
जिसमें कसम खायी थी देश के दुश्मनों ने
कि वो किसी को चैन से जीने नही देगें
तब से आज तक होते रहे हैं बम के धमाके और
हवा में उड़ते रहे हैं पूरे के पूरे जिस्म टुकड़ो में तब्दील होकर
जिनका नाम और पता आज तक उनके घर वालों को नही मिला
क्योंकि सियासत के पहरेदारों के पेट में भी है एक कब्रिस्तान
जहां दफ्न हो जाते है खूनी सियासत के सारे सबूत।

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