
Monday, February 25, 2008
Sunday, February 24, 2008
बहुरूपिया....


शहर की बीच सड़क पर भेष बदले शांती का संदेश दे रहा है बहुरूपिया।
और टकटकी लगाये लोग तख्ती पर नजर डाले बगैर
देख रहे हैं बहुरूपिया के अजब गजब चेहरे को।
ये बहुरूपिया रोज निकलता है नये नये भेष में।
लोग सिर्फ उसके रूप रंग पर मर जाते हैं,
कोई नही समझता उसकी चाल को।
कोई नही समझता उसके संदेश को।
सब कुछ नाटक सा चलता रहता है
शहर की सड़को वाले रंगमंच पर।
हे बहुरूपियें तुम रोज निकलो शांति संदेश के साथ
कभी न कभी लोग तुम पर नही तुम्हारी तख्ती पर नजर जरूर डालेगें।
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