मार्च का महीना बीतने के बाद
इंतजार रहता है इस लेटर का
हर कम्पनी के हर शख्स को।
प्रेमिका प्रेमी से पूछती है
लेटर मिला क्या ?
प्रेमी प्रेमिका से पूछता है
तुम्हे मिला क्या ?
ऑफिस में हर रोज यही चर्चा होती है
कब मिलेगा,
कोई चुपके से बात करता है
कोई जोर से बोलता है
ताकि एचआर के लोगों तक ये बात सुनाई दे।
गजब है ये लेटर...
इतनी बेसब्री तो पहले वाले प्यार के
प्रेम पत्र की भी नही रही होगी।
सच पूछो तो ये लेटर गजब होता है
इसके मिलते ही कई के बढ़ जाते है ओहदे
कुछ की बढ़ जाती है पगार
कुछ सोचते है लेटर मिलते ही
नये ठिकाने की बात
लेकिन कमबख्त एचआर वाले
जब तक हम सब ऊब नही जाते
इंतजार करना बंद नही कर देते
एक दूसरे को गाली नही देने लगते
लेटर नही आता......
भाड़ में जाए एप्रेजल और इनक्रीमेंट।
3 comments:
हा हा ! बढ़िया है, लगता है आपको भी बहुत इंतज़ार कराया लेटर ने !
हम लोगों का यही हाल दिसम्बर में होता है इन्तजार का.
मिलेगा-मिलेगा... सब्र का फल हमेशा बेहतर होता है...
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